भोरः पापाजी, पूत्री और पपी (फोटोग्राफ) – घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)

शरद पूर्णिमा की रात को डांडियारास [ओ रंगरसिया MP3 – घनश्याम ठक्कर]

श्रीमतीजी को घर छोडके, शरद पूर्णिमा की रातको, औरो के साथ डांडियारास तो खेला. सुबह में मिसीस को गहने दे कर प्रसन्न करने की २०१२ की किमतः पांच लाख रूपिये!

ओ रंगरसिया O Rang Rasiya                    Play>>

www.ghanshyamthakkar.comPhoto of Full Moon and Computer Art: Ghanshyam thakkar [Oasis] To view larger image, click on the image

फोटो गैलरीः मेरी १९७४ की और आज की तस्वीर साथ साथ (उन घनी जुल्फों का क्या?) – घनश्याम ठक्कर

फोटो गैलरीः

मेरी १९७४ की और आज की तस्वीर साथ साथ (उन घनी जुल्फों का क्या?)

घनश्याम ठक्कर

पहला सुखः रिमोट कंट्रोल? नहीं! [हेल्थ-क्लब फोटो गैलरी ः घनश्याम ठक्कर]

 हेल्थ-क्लब फोटो गैलरी

Health Club Photo-Gallery

दोस्तो,

कुछ दिन पहले मैंने ‘स्वास्थ्य सुविचार (खासकर 50 के बाद) – घनश्याम ठक्कर‘ पोस्ट रखी थी. उसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली, अब भी मिल रही है. इस से यह स्पष्ट है कि हम में से कई स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं. हमारी पहली कक्षा के शिक्षक ने भी हमें बताया था, कि: ‘पहला सुख निरोगी काया है’ लेकिन इसका पालन करना आसान नहीं है. कभी व्यवसाय के कारन, कभी निजी समस्याओं की वजह से तो कभी T.V. के रिमोट कण्ट्रोल के कारण नियमित कसरत करना मुश्किल हो जाता है.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य, डायेटिंग आदि के बारेमें बहुत कुछ, अरे! जरूरत से ज्यादा लिखा, कहा गया है. इस लिये कुछ और शब्दों से फर्क नहीं पडेगा. कभी कभी अन्य लोगों के जीवन दृष्टान्त ज्यादा उपयोगी बनते हैं.

कहते हैं: ‘एक चित्र, एक तस्वीर हजार शब्द के बराबर है.’ अगर मेरे ये फोटोग्राफ्स एक व्यक्ति को व्यायाम करने के लिये प्रेरणा दे सके, तो मैं इसे समय का अच्छा उपयोग मानुंगा.

हालांकि मैं अपने जीवन में स्वास्थ्य के बारे में काफी जागरूक रहा हूं, और लंबे अरसे से हेल्थ-क्लब का मेंबर भी हूं; व्यायाम के संदर्भ में हमेशा ‘गुड-बॉय’ नहीं रह सका हूं. कभी कभी दिन, कभी कभी महीने, और शर्मनाक तरीके से, कभी कभी महीने लॅप्स हूए हैं. ठीक है, कभी कभी उचित कारणों के लिए…जब बॉस कहे कि, “तारीख_______तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाना चाहिये, वर्ना दूसरी जोब डूंढ लेना” (भूखे पेट व्यायाम हो सकता है भला? :)). कभी कभी बहाने परिहार्य होते है. जैसे कि ओल्ड-फॅशन आलस्य, टी.वी. का रिमोट-कंट्रोल आदि. कभी कभी हॉबी बीचमें आ जाती है. [उदाहरण: कल व्यायाम की इस पोस्ट तैयार कर रहा था, इस लिये व्यायाम के लिये नहीं जा सका!!!! ः)]

लेकिन जब जब ऐसे लॅप्स आते हैं, तो कोई ई सुमित्र प्रेरणा देते हैं, [या कोई कु-मित्र मेरे पेट का व्यास की आलोचना करते हैं :)]; ट्रेन पटरी पर वापस आ जाती है.

जोब से रिटायर्ड होने के बाद कसरत से रिटायर्ड होने की जरूरत नहीं है. एक सिक्रेट कहता हूंः मैं २०-३० साल का था इससे ज्यादा कसरत आज करता हू!

यह कहने के बाद मेरी उम्रका अनुमान करने का दुःसाहस मत करना, वरना……मैं अमिताभ बच्चन की फिल्म का यह पोस्टर दिखा दुंगा. 🙂

आशा है ये फोटोग्राफ्स आपको कसरत करने के लिये प्रेरणा दे

घनश्याम ठक्कर

For those who don’t speak Hindi, the title means ‘Old May Be Your Dad’