पहली बार ‘कानुडा रे’ का हिन्दी भावान्तर मूल राग में पढिये!
श्रेणी पुरालेख: Hindi Poems
जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 2013 – गीत और संगीतः घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं – घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
Happy Independence Day India – Oasis Thacker
भारत का राष्ट्रगीत
ऑर्केस्ट्रा प्रबन्धक और वादक
घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
रवींद्रनाथ टैगोर की 72 वीं पुण्यतिथि पर : घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
दूर खिसक जाय ये सफर! [गीत] (लिखित और वीडियो काव्य पठन) – घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
दूर खिसक जाय ये सफर! [गीत] (लिखित और वीडियो काव्य पठन) – घनश्याम ठक्कर (ओएसीस)
Computer Art: Oasis Thacker
Door Khisak Jaay Ye Safar – Ghanshyam Thakkar (Oasis Thacker)
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वैष्नवजन तो उसको कहें {छंदोबद्ध भावानुवाद + वाद्य संगीत MP3} – घनश्याम ठक्कर
वैष्नवजन तो उसको कहें {भावानुवाद + वाद्य संगीत MP3}
घनश्याम ठक्कर
गांधीजी का सबसे प्रिय, नरसिंह महेता रचित,
गुजराती भजन का छंदोबद्ध भावानुवाद
वॅकेशन पर
प्यारे दोस्तो,
मई 3, 2009 से आज तक आप की सेवामें कविता, संगीत और अन्य कला-कृति परोस कर, आपके जीवनमें आनंद और ज्ञान का प्रकाश लाने का प्रयत्न कर रहा हूं. कुछ दिनके लिये वॅकेशन पर जा रहा हूं…..इन्टरनेट से दूर.
कुछे दिनों के बाद नयी सामग्री ले कर आउंगा. आशा है, इस दौरान आप मेरे हिन्दी/अंग्रेजी ब्लोग/वेबसाईट पर तशरीफ लाते रहोगे.
आप के सहकार के लिये शुक्रिया.
घनश्याम ठक्कर.
एने विजोग [गीत-संगीतः घनश्याम ठक्कर]
फोटो गैलरी: फ़िलहाल-घनश्याम-1: घनश्याम ठक्कर
संगीतसर्जन और स्टुडियो-रॅकॉर्डिंग
फोटो गैलरी: फ़िलहाल-घनश्याम-1: घनश्याम ठक्कर
pictures taken in August-September 2010
इस विषय की और तस्वीरें आनेवाली पोस्टमें प्रकाशित होगी
दोस्तो,
मेरे संगीत और साहित्यसर्जन की मंझिल के लिये, इन कला संबंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिये, कला संबंधित कम्प्युटर का ज्ञान प्राप्त करने के लिये, वेबसाईट तैयार करने (वेब पेज डिझाइन) के लिये, ब्लोग प्रकाशन के लिये, एन्जिनियरिंग और मेनेजमेंट के व्ययसाय के लिये, या तो इन निरन्तर प्रगामी व्ययसाय संबंधित ज्ञान प्राप्ति के लिये ऐसे समय बित जाता है, जब होशमें आता हूं, एक पूरा दशाब्द व्यतीत हुआ महसूस होता है! बहुत दोस्तो-रिश्तेदारों के साथ बरसों से संपर्क में नहीं हूं. कोई कहता है, मैं असामाजिक हो गया हूं, कोई कहता है मैं अहंकारी हो गया हूं’. यह सच नहीं है. अगर यह संन्यास है, तो वह पारंपरिक धार्मिक अर्थ में नहीं है. न तो यह है पूर्वचिंतित, पूर्वयोजित जीवन शैली. ऐसा कहो, ये है एक अवचेतन वास्तविकता, एक प्राकृतिक घटना. पूराने दोस्त आपको बतायेंगे कि कुछ साल पहले मैं जरूरत से ज्यादा सामाजिक था. इन सांसारिक बंधनों में मेरी सर्जन-क्रिया की प्रगति, मेरे अंदाज से, मेरी क्षमता की तुलना में धीमी थी.
‘फिलहाल घनश्यामजी अपने दिन कैसे गुजारा करते हैं?………इतने अरसे के बाद कैसे दिखते है?’ इसका जवाब आज की पोस्ट पर रखी तस्वीरों में, और अगली कुछ पोस्ट की तस्वीरों में मिलेगा.
आशा है आप मेरे ब्लोग और वेबसाईट पर मेहमान बनते रहोगे.
घनश्याम ठक्कर