मेरा चेहरा (गझल) – घनश्याम ठक्कर मार्च 21, 2010 by kalapiketan 3 ——————————— Photo: Ghanshyam Thakkar —– मेरा चेहरा गझल घनश्याम ठक्कर 0.000000 0.000000 Share this:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related
गझल या गज़ल कहाँ है?? हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!! लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है. अनेक शुभकामनाएँ. प्रतिक्रिया
प्रिय समीरजी, आपकी प्रशंसा के लिये शुक्रगुजार हूं. आपका प्रश्नः ‘गझल या गज़ल कहाँ है??’ समजमें नहीं आया. ‘मेरा चेहरा’ लिंक पर क्लिक करने से आप गझल (गज़ल) पढ सकते हैं. ‘साधुवाद’ शब्द के प्रयोग से प्रतीत है कि आप विचारशील है. ‘आधुनिक कविता’ के बारेमें कुछ लिखने के लिये कब से सोच रहा हूं. आपकी इस कॉमेंट के बाद जल्द ही ‘कलापीकेतन’ में प्रगट करुंगा. कुछ सालों से संगीत रचना, और संबंधित कला और दस्तकारी में ज्यादातर समय गुजर जाता है, इस लिये साहित्य को जरूरी न्याय नहीं मिल रहा है. आपके ब्लोग ‘उड़न तश्तरी ….’ के लिये हार्दिक प्रतिनंदन…..अभिनंदन! घनश्याम ठक्कर प्रतिक्रिया
गझल या गज़ल कहाँ है??
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
प्रिय समीरजी,
आपकी प्रशंसा के लिये शुक्रगुजार हूं.
आपका प्रश्नः ‘गझल या गज़ल कहाँ है??’ समजमें नहीं आया. ‘मेरा चेहरा’ लिंक पर क्लिक करने से आप गझल (गज़ल) पढ सकते हैं.
‘साधुवाद’ शब्द के प्रयोग से प्रतीत है कि आप विचारशील है.
‘आधुनिक कविता’ के बारेमें कुछ लिखने के लिये कब से सोच रहा हूं. आपकी इस कॉमेंट के बाद जल्द ही ‘कलापीकेतन’ में प्रगट करुंगा.
कुछ सालों से संगीत रचना, और संबंधित कला और दस्तकारी में ज्यादातर समय गुजर जाता है, इस लिये साहित्य को जरूरी न्याय नहीं मिल रहा है.
आपके ब्लोग ‘उड़न तश्तरी ….’ के लिये हार्दिक प्रतिनंदन…..अभिनंदन!
घनश्याम ठक्कर
HELLO